Best Moral stories in hindi for kids : स्टोरी इन हिंदी फॉर चाइल्ड कहानियां हमारे जीवन में शिक्षा का एक सबसे अच्छा माध्यम होती है क्योंकि कहानियों के माध्यम से ही हम सही और गलत का निर्णय लेने के लिए सक्षम बन पाते हैं. अगर बात बच्चों की करी जाए तो बच्चों को नैतिक कहानियां सुनना काफी पसंद होता है बच्चो को नैतिक कहानिया सुनना चाहिए जिससे वो सही गलत का फैसला आर सके. स्टोरी इन हिंदी फॉर चाइल्ड
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hindi stories in hindi with moral : क्या आपने कभी सोचा है कि बचपन से ही हमें कहानियां क्यों सुनाई जाती है? तो इसका जवाब है की कहानी एक ऐसा माध्यम है जोकि बच्चों के जीवन के मार्गदर्शन के लिए बहुत उपयोगी है और विभिन्न प्रकार की कहानियों से बच्चों को विभिन्न प्रकार की प्रेरणा मिलती है जिससे कि वे जीवन में एक बेहतर इंसान बनने की ओर अग्रसर होते हैं
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अकबर-बीरबल की कहानी| Akabar birbal ki kahaniya in hindi
जब भी बुद्धिमत्ता, चतुराई और हाजिर-जवाबी की बात होती है, तो सबसे पहला नाम बीरबल का आता है। वहीं, अकबर-बीरबल की जुगलबंदी किसी से छुपी नहीं है। ऐसा भी कहा जाता है कि बीरबल को बादशाह अकबर के नवरत्नों में से एक अनमोल रत्न माना जाता था। अकबर-बीरबल से जुड़ी कई ऐसी कहानियां हैं, जो हर किसी को गुदगुदाती हैं। साथ ही एक खास सीख भी दे जाती हैं।अकबर-बीरबल की कहानियां हमेशा से सभी के लिए प्रेरणादायक रही हैं। बीरबल ने अपनी चतुराई और बुद्धिमता से कई बार बादशाह अकबर के दरबार में आए पेचीदा मामलों को सुलझाया। साथ ही बादशाह अकबर की ओर से दी गई चुनौतियों को सहर्ष स्वीकार कर, उनका हल निकाला। बेशक, ये किस्से-कहानियां सदियों पुरानी हैं, लेकिन वर्तमान में भी इनका महत्व कायम है। अगर आप अपने बच्चों को मानसिक रूप से मजबूत बनाने चाहते हैं या उसे यह सिखाना चाहते हैं कि कैसे हर समस्या का हल शांत रहकर व दिमाग का इस्तेमाल करके किया जा सकता है, तो अकबर-बीरबल की कहानियों से बेहतर कुछ नहीं है। हमारे कहानियों के इस भाग में पढ़िए अकबर-बीरबल के वो किस्से और कहानियां, जो बच्चों के जीवन को सही दिशा देंगे।
अकबर-बीरबल की कहानियां पढ़े हिंदी में
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Moral stories in hindi
जोरू का गुलाम -Akbar birbal moral story in hindi
अकबर और बीरबल की कहानियां हमेशा से ही लोगों को आकर्षित करती रही हैं। इन कहानियों में न केवल अकबर और बीरबल की बुद्धि का परिचय मिलता है, बल्कि इन कहानियों से हमें कई जीवन के सूत्र भी मिलते हैं।
एक बार की बात है, अकबर को एक आदमी के बारे में पता चला जो अपनी पत्नी के अधीन था। वह अपनी पत्नी की हर बात मानता था और उसकी हर इच्छा पूरी करता था। अकबर ने इस आदमी को अपने दरबार में बुलाया और उससे पूछा कि वह ऐसा क्यों करता है।
आदमी ने जवाब दिया, “महाराज, मेरी पत्नी बहुत स्वार्थी और दबंग है। वह मुझे अपनी इच्छानुसार चलाती है। अगर मैं उसकी बात नहीं मानता, तो वह मुझे बहुत परेशान करती है। इसलिए, मैं उसकी हर बात मानता हूं और उसकी हर इच्छा पूरी करता हूं।”
अकबर को इस आदमी की बात सुनकर बहुत गुस्सा आया। वह बीरबल को बुलाया और उसे इस आदमी को समझाने के लिए कहा।
बीरबल ने आदमी को बुलाया और उससे कहा, “तुम्हारी पत्नी का स्वभाव तो बुरा है, लेकिन तुम भी कम नहीं हो। तुम अपनी पत्नी के अधीन हो। तुम अपनी मर्जी से कुछ नहीं कर सकते। तुम एक गुलाम की तरह जी रहे हो।”
आदमी ने कहा, “महाराज, बीरबल जी, आप मुझे क्या कह रहे हैं? मैं अपनी पत्नी का गुलाम नहीं हूं। मैं उसकी हर बात मानता हूं, क्योंकि मैं उससे प्यार करता हूं।”
बीरबल ने कहा, “तुम जो भी कहो, लेकिन तुम अपनी पत्नी के अधीन हो। तुम अपनी मर्जी से कुछ नहीं कर सकते। तुम एक गुलाम की तरह जी रहे हो।”
बीरबल ने आदमी को एक कहानी सुनाई।
एक बार की बात है, एक राजा था। उसके पास एक बहुत ही खूबसूरत पत्नी थी। लेकिन उसकी पत्नी बहुत स्वार्थी और दबंग थी। वह राजा को अपनी इच्छानुसार चलाती थी। राजा अपनी पत्नी की हर बात मानता था और उसकी हर इच्छा पूरी करता था।
एक दिन, एक जादूगर ने राजा की पत्नी को एक जादू का घोड़ा दिया। उस घोड़े पर सवार होकर राजा की पत्नी कहीं भी जा सकती थी। राजा की पत्नी ने उस घोड़े को अपने पास रख लिया और राजा को उससे दूर रहने के लिए कहा।
राजा को अपनी पत्नी की बात माननी पड़ी। वह अपनी पत्नी से दूर रहने लगा। राजा बहुत उदास रहने लगा। वह अपनी पत्नी को बहुत याद करने लगा।
एक दिन, राजा को एक बुद्धिमान आदमी मिला। उस आदमी ने राजा को कहा, “महाराज, आपकी पत्नी आपको छोड़कर जा चुकी है। अब आप अपनी मर्जी से जी सकते हैं। आप अपनी इच्छानुसार कुछ भी कर सकते हैं।”
राजा ने उस बुद्धिमान आदमी की बात मान ली। उसने अपनी पत्नी को छोड़ दिया और अपनी मर्जी से जीने लगा। राजा बहुत खुश रहने लगा।
बीरबल ने कहा, “यह कहानी तुम्हें बताने का मेरा मतलब यह है कि तुम अपनी पत्नी के अधीन हो। तुम अपनी मर्जी से कुछ नहीं कर सकते। तुम एक गुलाम की तरह जी रहे हो। तुम अपनी पत्नी को छोड़ दो और अपनी मर्जी से जियो।”
आदमी को बीरबल की बात समझ में आ गई। उसने अपनी पत्नी को छोड़ दिया और अपनी मर्जी से जीने लगा। वह बहुत खुश रहने लगा।
अकबर को बीरबल की बात बहुत पसंद आई। वह बीरबल की बुद्धि के कायल हो गए।
जोरू का गुलाम कहानी हमें यह सिखाती है कि हमें अपनी मर्जी से जीना चाहिए। हमें किसी के अधीन नहीं रहना चाहिए। हमें अपनी इच्छानुसार कुछ भी करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए।
हम सभी को इस कहानी से सीखना चाहिए और अपनी मर्जी से जीना चाहिए।
Moral Hindi Stories
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खाने के बाद लेटना-Akbar birbal ki kahaniya
अकबर और बीरबल की कहानियां हमेशा से ही लोगों को आकर्षित करती रही हैं। इन कहानियों में न केवल अकबर और बीरबल की बुद्धि का परिचय मिलता है, बल्कि इन कहानियों से हमें कई जीवन के सूत्र भी मिलते हैं।
एक बार की बात है, अकबर अपने दरबार में बैठे थे। उन्होंने बीरबल से कहा, “बीरबल, तुमने कभी कहा था कि खाना खाने के बाद लेटना और मारने के बाद भागना एक सयाने आदमी की पहचान है। क्या यह बात सही है?”
बीरबल ने कहा, “जी हां, महाराज, यह बात बिल्कुल सही है। खाना खाने के बाद लेटने से शरीर को आराम मिलता है और वह फिर से ऊर्जा से भर जाता है। मारने के बाद भागने से आदमी को अपने जीवन की रक्षा होती है।”
अकबर ने कहा, “ठीक है, तो मैं आज देखता हूं कि तुम इस बात को कितना मानते हो।”
अकबर ने एक नौकर को बुलाया और उसे बीरबल को तुरंत दरबार में बुलाने के लिए कहा। नौकर ने बीरबल को खबर दी। बीरबल ने तुरंत खाना खाया और तैयार होकर दरबार में आ गए।
अकबर ने बीरबल से पूछा, “बीरबल, तुमने आज खाना खाने के बाद क्या किया?”
बीरबल ने कहा, “महाराज, मैंने खाना खाने के बाद लेटने का फैसला किया।”
अकबर ने कहा, “ठीक है, तो तुम अब लेट जाओ।”
बीरबल ने कहा, “महाराज, मैं अभी लेट नहीं सकता। मुझे कपड़े बदलने के लिए थोड़ा समय चाहिए।”
अकबर ने कहा, “ठीक है, तुम कपड़े बदलने के बाद लेट जाना।”
बीरबल ने उठकर अपने कमरे में चला गया। उसने एक बहुत ही तंग पायजामा पहना। पायजामा इतना तंग था कि उसे पहनने के लिए उसे बिस्तर पर लेटना पड़ा। वह कुछ देर तक बिस्तर पर लेटा रहा। फिर वह उठकर दरबार में आ गया।
अकबर ने बीरबल से पूछा, “बीरबल, तुमने अभी क्या किया?”
बीरबल ने कहा, “महाराज, मैंने खाना खाने के बाद लेटने का फैसला किया।”
अकबर ने कहा, “लेकिन तुम अभी भी खड़े हो।”
बीरबल ने कहा, “महाराज, मैं अभी भी लेटने का प्रयास कर रहा हूं। लेकिन यह पायजामा इतना तंग है कि मैं लेट नहीं पा रहा हूं।”
अकबर ने बीरबल की बात सुनकर हंस दिया। वह समझ गए कि बीरबल ने उनकी बात का मजाक उड़ाया है।
अकबर ने कहा, “अच्छा, तुमने मेरी बात का मजाक उड़ाया। लेकिन तुम्हारी बात भी सही है। खाना खाने के बाद थोड़ा आराम करना चाहिए। लेकिन तुम्हारे जैसा तंग पायजामा पहनकर लेटने से कोई फायदा नहीं होगा।”
बीरबल ने कहा, “महाराज, आप बिल्कुल सही कह रहे हैं।”
कहानी का नैतिक
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें किसी भी बात को बिना सोचे समझे नहीं मानना चाहिए। हमें हर बात को अपनी बुद्धि से परखना चाहिए।
New Moral Stories in Hindi
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जब बीरबल बच्चा बना-Akbar birbal ki kahaniya in hindi
अकबर और बीरबल की कहानियां हमेशा से ही लोगों को आकर्षित करती रही हैं। इन कहानियों में न केवल अकबर और बीरबल की बुद्धि का परिचय मिलता है, बल्कि इन कहानियों से हमें कई जीवन के सूत्र भी मिलते हैं।
एक बार की बात है, अकबर और बीरबल दरबार में बैठे हुए थे। तभी एक आदमी आया और अकबर से बोला, “महाराज, मैं एक जादूगर हूं। मैं किसी को भी बच्चे में बदल सकता हूं।”
अकबर ने जादूगर से कहा, “अच्छा, तो तुम मेरे दरबार के किसी भी व्यक्ति को बच्चे में बदल सकते हो?”
जादूगर ने कहा, “जी हां, महाराज, मैं ऐसा कर सकता हूं।”
अकबर ने सोचा कि यह एक मजेदार प्रयोग होगा। वह बीरबल को बच्चे में बदलने का फैसला किया।
जादूगर ने बीरबल को एक मंत्र पढ़कर बच्चे में बदल दिया। बीरबल एक छोटा बच्चा बन गया। वह केवल दो साल का था।
अकबर और दरबार के सभी लोग बीरबल को बच्चे में बदल देखकर बहुत हंसे।
अकबर ने बीरबल से कहा, “बीरबल, अब तुम एक बच्चे हो। तुम क्या करोगे?”
बीरबल ने कहा, “महाराज, मैं एक बच्चा हूं। मैं खेलना चाहता हूं।”
अकबर ने बीरबल को एक नर्स को दिया और उसे एक कमरे में भेज दिया। नर्स ने बीरबल को कपड़े पहनाए और उसे खाना खिलाया।
बीरबल ने नर्स के साथ खेलना शुरू किया। वह बहुत खुश था।
अगले दिन, अकबर ने बीरबल को अपने पास बुलाया। उन्होंने बीरबल से पूछा, “बीरबल, तुम एक बच्चे के रूप में कैसा महसूस कर रहे हो?”
बीरबल ने कहा, “महाराज, मैं एक बच्चे के रूप में बहुत खुश हूं। मैं बिना किसी चिंता के जी सकता हूं।”
अकबर ने बीरबल को एक दिन के लिए बच्चे के रूप में रहने दिया। बीरबल ने इस दिन का बहुत आनंद लिया।
अगले दिन, जादूगर ने बीरबल को फिर से एक आदमी में बदल दिया। बीरबल बहुत खुश था।
अकबर ने बीरबल से कहा, “बीरबल, आज तुमने एक बच्चे के रूप में क्या सीखा?”
बीरबल ने कहा, “महाराज, मैंने सीखा कि बच्चों को बिना किसी चिंता के जीने का अधिकार है।”
अकबर ने बीरबल की बात सुनकर कहा, “बीरबल, तुम बहुत समझदार हो।”
कहानी का नैतिक
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें बच्चों का सम्मान करना चाहिए। हमें बच्चों को बिना किसी चिंता के जीने का अधिकार देना चाहिए।
सबसे बड़ा मनहूस कौन?-Akabar Birbal kahaniya in hindi
अकबर और बीरबल की कहानियां हमेशा से ही लोगों को आकर्षित करती रही हैं। इन कहानियों में न केवल अकबर और बीरबल की बुद्धि का परिचय मिलता है, बल्कि इन कहानियों से हमें कई जीवन के सूत्र भी मिलते हैं।
एक बार की बात है, अकबर अपने दरबार में बैठे थे। तभी एक मंत्री आया और अकबर से बोला, “महाराज, हमारे राज्य में एक बहुत बड़ा मनहूस है। वह हर किसी के काम में बाधा डालता है।”
अकबर ने मंत्री से कहा, “तुम किस बारे में बात कर रहे हो?”
मंत्री ने कहा, “महाराज, हमारे राज्य में एक कचरा साफ करने वाला आदमी है। वह बहुत ही बदकिस्मत है। वह जहां भी जाता है, वहां कुछ न कुछ गड़बड़ हो जाती है।”
अकबर को यह बात सुनकर बहुत गुस्सा आया। उन्होंने तुरंत बीरबल को बुलाया और उसे उस आदमी को पकड़कर लाने के लिए कहा।
बीरबल ने उस आदमी को पकड़कर अकबर के सामने ले आया। अकबर ने उस आदमी से कहा, “तुम हमारे राज्य का सबसे बड़ा मनहूस हो। तुमने हमारे राज्य में बहुत नुकसान किया है।”
उस आदमी ने कहा, “महाराज, मैं कोई मनहूस नहीं हूं। मैं सिर्फ एक गरीब आदमी हूं। मैं अपना काम करता हूं।”
अकबर ने कहा, “तुम गरीब हो या अमीर, तुम मनहूस हो। तुमने हमारे राज्य में बहुत नुकसान किया है।”
अकबर ने उस आदमी को मौत की सजा दे दी।
बीरबल ने अकबर से कहा, “महाराज, आपने गलत किया है। वह आदमी कोई मनहूस नहीं था। वह सिर्फ एक गरीब आदमी था। आपने उसे बेवजह मार डाला है।”
अकबर ने बीरबल से कहा, “मैंने उस आदमी को सजा दी है क्योंकि वह हमारे राज्य का सबसे बड़ा मनहूस था।”
बीरबल ने कहा, “महाराज, मनहूस कोई व्यक्ति नहीं होता है। मनहूस एक भावना होती है। जब कोई व्यक्ति किसी चीज से बहुत डरता है, तो वह उसे मनहूस मान लेता है।”
अकबर ने बीरबल की बात सुनकर कहा, “तुम सही कह रहे हो। मैं उस आदमी को बेवजह मार डाला हूं।”
अकबर ने उस आदमी की सजा वापस ले ली। उन्होंने उस आदमी को माफ कर दिया और उसे अपने दरबार में शामिल कर लिया।
कहानी का नैतिक
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें किसी भी व्यक्ति को बिना सोचे समझे नहीं जज करना चाहिए। हमें किसी भी व्यक्ति के बारे में कोई राय बनाने से पहले उसे पूरी तरह से समझना चाहिए।
सबसे बड़ा हथियार-Akbar birbal moral stories in hindi
अकबर और बीरबल की कहानियां हमेशा से ही लोगों को आकर्षित करती रही हैं। इन कहानियों में न केवल अकबर और बीरबल की बुद्धि का परिचय मिलता है, बल्कि इन कहानियों से हमें कई जीवन के सूत्र भी मिलते हैं।
एक बार की बात है, अकबर और बीरबल दरबार में बैठे हुए थे। तभी अकबर ने बीरबल से पूछा, “बीरबल, तुमने कभी कहा था कि आत्मविश्वास सबसे बड़ा हथियार है। क्या यह बात सही है?”
बीरबल ने कहा, “जी हां, महाराज, यह बात बिल्कुल सही है। आत्मविश्वास के बिना कोई भी काम नहीं किया जा सकता है।”
अकबर ने कहा, “ठीक है, तो तुम मुझे दिखाओ कि आत्मविश्वास से कोई काम कैसे किया जा सकता है।”
बीरबल ने कहा, “ठीक है, महाराज। मैं आपको एक कहानी सुनाता हूं।”
कहानी
एक बार की बात है, एक जंगल में एक शेर रहता था। वह बहुत ही शक्तिशाली और क्रूर था। वह जंगल में सभी जानवरों को डरा देता था।
एक दिन, एक छोटा सा बंदर उस जंगल में आया। बंदर बहुत ही चतुर और बुद्धिमान था। उसने शेर को डराने का फैसला किया।
बंदर ने शेर को देखा और उसे चुनौती दी। उसने कहा, “शेर, तुम बहुत शक्तिशाली हो। लेकिन मैं तुम्हारा मुकाबला कर सकता हूं।”
शेर को बंदर की बात सुनकर हंसी आ गई। उसने कहा, “तुम एक छोटे से बंदर हो। तुम मेरा मुकाबला कैसे कर सकते हो?”
बंदर ने कहा, “मैं तुमसे लड़ने नहीं आया हूं। मैं तुमसे एक खेल खेलना चाहता हूं।”
शेर ने कहा, “ठीक है, मैं तुम्हारे साथ खेल खेलने को तैयार हूं।”
खेल
बंदर ने शेर से कहा, “हम एक खेल खेलेंगे। हम एक दूसरे को एक लकड़ी के डंडे से मारेंगे। जो सबसे ज्यादा बार मारेगा, वह जीत जाएगा।”
शेर को यह खेल अच्छा लगा। उसने बंदर को लकड़ी का डंडा दे दिया।
बंदर ने कहा, “लेकिन एक शर्त है। हम एक-दूसरे को केवल एक बार मार सकते हैं। अगर हम एक-दूसरे को दो बार मारते हैं, तो हम हार जाएंगे।”
शेर ने कहा, “ठीक है, मैं तुम्हारी शर्त मानता हूं।”
खेल शुरू
खेल शुरू हुआ। शेर ने बंदर को मारने की कोशिश की। लेकिन बंदर बहुत ही चतुर था। वह शेर के हमलों से बच गया।
अब बारी बंदर की थी। उसने शेर को एक बार मार दिया। शेर दर्द से चिल्लाया।
शेर ने कहा, “हार मान ली। तुम जीत गए।”
बंदर ने कहा, “देखा, आत्मविश्वास से कोई भी काम किया जा सकता है।”
कहानी का नैतिक
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि आत्मविश्वास से कोई भी काम किया जा सकता है। आत्मविश्वास के बिना कोई भी काम सफल नहीं हो सकता है।
अकबर की प्रतिक्रिया
कहानी सुनकर अकबर बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने कहा, “बीरबल, तुमने मुझे एक बहुत ही अच्छी कहानी सुनाई। मैं तुम्हारी बात मानता हूं। आत्मविश्वास सबसे बड़ा हथियार है।”
अकबर ने बीरबल की बुद्धि की प्रशंसा की। उन्होंने बीरबल को एक इनाम दिया।
निष्कर्ष
यह कहानी हमें यह सीख देती है कि आत्मविश्वास से कोई भी काम किया जा सकता है। आत्मविश्वास के बिना कोई भी काम सफल नहीं हो सकता है।
आगरा कौन सा रास्ता जाता है?– Akbar Birbal Story in hindi
अकबर और बीरबल की कहानियां हमेशा से ही लोगों को आकर्षित करती रही हैं। इन कहानियों में न केवल अकबर और बीरबल की बुद्धि का परिचय मिलता है, बल्कि इन कहानियों से हमें कई जीवन के सूत्र भी मिलते हैं।
एक बार की बात है, अकबर अपने दरबार में बैठे हुए थे। तभी एक मंत्री ने अकबर से कहा, “महाराज, हमारे राज्य में एक लड़का है। वह बहुत ही बुद्धिमान है। वह आपको आगरा का रास्ता बता सकता है।”
अकबर ने मंत्री से कहा, “आगरा कौन सा रास्ता जाता है?”
मंत्री ने कहा, “महाराज, मैं नहीं जानता। लेकिन वह लड़का जानता है।”
अकबर ने लड़के को बुलाया। लड़का दरबार में आया।
अकबर ने लड़के से कहा, “आगरा कौन सा रास्ता जाता है?”
लड़के ने कहा, “महाराज, मैं नहीं जानता।”
अकबर को लड़के की बात सुनकर बहुत गुस्सा आया। उन्होंने लड़के को दरबार से बाहर निकाल दिया।
बीरबल ने अकबर से कहा, “महाराज, आपने लड़के को बहुत जल्दी निकाल दिया। आपने उसकी बात सुनी भी नहीं।”
अकबर ने बीरबल से कहा, “मैंने लड़के की बात सुनी थी। उसने कहा कि वह आगरा का रास्ता नहीं जानता।”
बीरबल ने कहा, “महाराज, लड़के ने सही बात कही। कोई भी व्यक्ति आगरा का रास्ता नहीं जानता। क्योंकि आगरा एक शहर है। शहर में कई रास्ते होते हैं।”
अकबर ने बीरबल की बात सुनकर कहा, “तुम सही कह रहे हो। मैं लड़के को बुलाता हूं।”
अकबर ने लड़के को फिर से बुलाया। लड़का दरबार में आया।
अकबर ने लड़के से कहा, “तुमने कहा था कि तुम आगरा का रास्ता नहीं जानते। क्या यह बात सही है?”
लड़के ने कहा, “जी हां, महाराज। यह बात बिल्कुल सही है।”
अकबर ने लड़के से कहा, “तो तुम मुझे आगरा कैसे ले जा सकते हो?”
लड़के ने कहा, “महाराज, मैं आपको आगरा नहीं ले जा सकता। लेकिन मैं आपको आगरा का रास्ता दिखा सकता हूं।”
अकबर ने लड़के से कहा, “ठीक है, मुझे आगरा का रास्ता दिखाओ।”
लड़के ने अकबर को एक नक्शा दिखाया। नक्शे में आगरा का रास्ता दिखाया गया था।
अकबर ने लड़के को धन्यवाद दिया। उन्होंने लड़के को एक इनाम दिया।
कहानी का नैतिक
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि किसी भी प्रश्न का उत्तर देने से पहले हमें उस प्रश्न को अच्छी तरह से समझना चाहिए। हमें दूसरों की बातों को सुनना चाहिए और उनकी बातों का सम्मान करना चाहिए।
अकबर की प्रतिक्रिया
कहानी सुनकर अकबर बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने कहा, “बीरबल, तुमने मुझे एक बहुत ही अच्छी कहानी सुनाई। मैं तुम्हारी बात मानता हूं। किसी भी प्रश्न का उत्तर देने से पहले हमें उस प्रश्न को अच्छी तरह से समझना चाहिए।”
अकबर ने बीरबल की बुद्धि की प्रशंसा की। उन्होंने बीरबल को एक इनाम दिया।
निष्कर्ष
यह कहानी हमें यह सीख देती है कि किसी भी प्रश्न का उत्तर देने से पहले हमें उस प्रश्न को अच्छी तरह से समझना चाहिए। हमें दूसरों की बातों को सुनना चाहिए और उनकी बातों का सम्मान करना चाहिए।
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