एक Idea जिसने हजारों जिंदगियां बचाईं! | Abhishek Baheti

आज हम आप के साथ एक ऐसी कहानी साझा करने जा रहे है जिसने शून्य से शिखर तक की उड़न भरी “अभिषेक बाहेती आज आपके सामने मेरे नॉट सो गुड स्कूल स्टूडेंट से लेके वच आउट वेरिएबल जो कि आज 5 करोड़ के टर्नओवर पर  खड़ी है और स्मार्ट वॉचेस बनाती है

Abhishek Baheti- A Untold Moral Stories In Hindi

Abhishek Baheti : Moral stories in hindi
राजस्थानी बनिया गुजरात में पला बड़ा और फाइनेंशियल कैपिटल मुंबई में रहने वाला लोग ऐसा बोलते हैं कि यह एक बिजनेस के लिए डेडली कॉमिनेशन है जी हां मैं भी उसी डेडली कॉमिनेशन का एक पार्ट हूं मैं  अभिषेक बाहेती आज आपके सामने मेरे नॉट सो गुड स्कूल स्टूडेंट से लेके वच आउट वेरिएबल जो कि आज 5 करोड़ के टर्नओवर पर  खड़ी है और स्मार्ट वॉचेस बनाती है उसका सफर आपके सामने बया करने आया हूं 

हम सह परिवार कालबा देवी मुंबई में रहते थे कालबा देवी उस टाइम का टेक्सटाइल हब हुआ करता था मैं बड़े पापा पापा और परिवार के 10 जन हम 300 स्क्वायर फीट के एरिया में खुशी खुशी रहते थे ऑफिस भी वही था घर पर  एक ऐसा इंसिडेंट हुआ जिसने हमें झंझोट के रख दिया 

हमारे ऑफिस में आग लग गई थी भीषण आग उस टाइम घर पे ऑफिस जो कि हमारा ऑफिस भी था वहां थे मेरा भतीजा दिव्यजीवन जिसको शायद आपने मेरे साथ Shark Tank के पिच में भी देखा होगा वह एक सरवाइवर है उसे चार मंजिल की इमारत से फेंका गया था ताकि वह बच सके उसकी मम्मी को 100 दिन आईसीयू में रखा गया ताकि वह रिकवर कर सके बट दुर्भाग्यपूर्ण हमने उस टाइम हमारे बड़े पापा और 4 साल की भतीजी को खो दिया था कारण यह था कि वो बाहर की दुनिया से सही टाइम पे पहुंच नहीं पाए 

उन तक मदद पहुंच नहीं पाई मुझे बहुत बार ऐसा लगता है कि क्या उनके पास कुछ ऐसा होता जिससे वो बाहर की दुनिया से कम्युनिकेट कर लेते और क्या उन्हें कोई बचाने आ सकता था इस सिचुएशन ने मुझे झंझोट के रख दिया था मेरे जहन में तभी आ चुका था कि कुछ तो एक ऐसा चीज बनानी है जिनसे  हमारे बुजुर्ग और हमारे छोटे बच्चे इमरजेंसी के टाइम बाहर की दुनिया से कनेक्ट कर पाए चाहे वह घड़ी के रूप में ही क्यों ना हो 

 उस माध्यम से वह एक इमरजेंसी मैसेज भेज पाएं या फिर किसी भी बाहर अपना आवाज पहुंचा सके तो यह सपना ठान के मैं आगे बढ़ा समय के साथ घाव भी भरते गए मेरे पापा सूरज शिफ्टहुए मुझे आज भी याद है कि 10th स्टैंडर्ड में मैंने अपनी स्कूल टॉप की थी अ स्कूल ही टॉप की थी इवन सिटी भी नहीं की थी तो भी पापा इतने खुश थे कि उन्होंने अखबार में एडिटोरियल में एक एडवर्टाइज दिया था कि उनका बच्चा पहला आया है कक्षा में तो  एंबेरेसमेंट खुशी थी  

 जैसा कहते हैं कि ऊंचाई से गिरना बहुत आसान होता है एक ओवर कॉन्फिडेंस आ चुका था मुझ में और मैं समय ज्यादा नष्ट करने लगा और इसी कारण वर्ष 12th में मेरे बहुत कम मार्क्स आए  और उससे मैं जिस इंजीनियरिंग कॉलेज में लेना चाहता था वहां मुझे नहीं मिला काफी डिप्रेशन में भी था एंड काफी रिग्रेट था क्यों नो समय पर मैंने क्यों नहीं पढ़ाई  की समय रहते हुए क्यों टाइम वेस्ट किया अब  परिवार का सपोर्ट था परिवार ने और हमने डिसाइड किया कि ठीक है 

 जहां  मिलता है वहां लेंगे जिस ट्रीम में मिलता  है उसमें लेंगे तो हमने वहीं एडमिशन लिया सपनों के मेरे कॉलेज कैंपस से बहुत-बहुत दूर था गांव में बसी कॉलेज तबेला चल रहा  है बाजू में सीमेंट की शीट्स है सोने के लिए गंदा पानी भरा हुआ है वश रूम्स में बट ठीक है 

लाइफ ने मुझे दो लेसन उस दिन सिखा दिए थे पहला आज ऐसा काम करो कि कल रिग्रेट ना करना पड़े और दूसरा जहां पर भी हो जिस हालत में भी हो बेस्ट दो अपना उसी सिचुएशन में बेस्ट करो वेल यही मंत्र लेके मैं आगे बढ़ा और मैंने मेरी यूनिवर्सिटी टॉप की मैं गोल्ड मेडलिस्ट रहा उसके बाद मैंने 2 साल जॉब किया टिपिकल इंजीनियरिंग जॉब येलो कैप से हैवी सेफ्टी इश्यूज एंड बट उस टाइम मैंने ठान रखा था कि मैं एमबीए करके बिजनेस ही करूंगा तो मैंने पढ़ाई की जॉब के साथ पढ़ाई करना मुश्किल रहता है बस यू मनो  ठान लिया तो ठान लिया हमने बनते हुए वेसल्स में बल्ब के नीचे पढ़ाई की रात को जाके इलेक्ट्रिक रूम में पढ़ाई की एंड मैंने मेरे कॉलेजमें  एडमिशन लिया एडमिशन के बाद मैंने 6 साल एमबीए करने के बाद मैंने 6 साल अ जॉब किया ताकि मैं कुछ सेविंग्स कर पाऊं 

मेरे सपने को  पूरा करने के लिए  तो मैंने 10 लाख जमा जब किए मुझे 6 साल लग गए और फिर मैंने यह कंपनी स्टार्ट की वॉच आउट वेरिएबल जिसका एक ही मकसद था बच्चों की सेफ्टी गैजेट बनाना और सीनियर सिटीजंस का ख्याल रखने वाला एक ऐसा डिवाइस बनाना हमने अपना पहला प्रोडक्ट बनाया एक स्मार्ट वॉच बच्चों के लिए जो इमरजेंसी में काम आ सके और पेरेंट्स अपना जीपीए उस बच्चे का जीपीएस भी ट्रैक कर सके हमने अपना पहला प्रोडक्ट बनाया अ बड़ी मुश्किल से हम मार्केट में उसको लेकर गए एक तो ब्रांड नहीं था एक तो प्राइस ज्यादा क्योंकि प्रोडक्शन लाइन में इतनी वॉल्यूम्स नहीं थी  काफी नेगेटिव कमेंट्स मिले 

लोगों ने एक्सेप्ट नहीं किया और एक्सेप्ट क्यों करते कौन WhatchOut कौन सा ब्रांड है ये इतना महंगा प्रोडक्ट अपने बच्चे पर कैसे ट्रस्ट कर सकते हैं वह इतने सारे चीजों को हमने सोचा समझा और फिर हमने उस साइकिल में फंस गए थे जो कि एक टिपिकल साइकिल है हर बिजनेस फेस करता होगा कि लो लोग आपका प्रोडक्ट नहीं खरीद रहे क्योंकि आप ब्रांड नहीं हो एंड आप ब्रांड नहीं हो क्योंकि लोग आपका प्रोडक्ट नहीं खरीद रहे इस साइकिल को हमें किसी भी हालत में तोड़ना था इसलिए हमने अपनी स्ट्रेटेजी सोचा विचारा और चेंज करने की ट्राई की जहां लोग एंजल इन्वेस्टर्स ढूंढ रहे थे 

हमने एंजल इन्फ्लुएंस ढूंढे हमने उनको रीच आउट किया उनसे रिक्वेस्ट की कि लोग हमें तो नहीं जानते आपको तो जानते हैं एक ऐसा प्रोडक्ट हम लेकर आए हैं मार्केट में जो कि इंडिया में पहली चीज है उस टाइम का वो पहला 4g डिवाइस था इंडिया का जिसमें एक कैमरा था जो बच्चे के हाथ में बैठ सके और जो उसका लोकेशन ट्रैक कर सके हमने उनसे रिक्वेस्ट किया और  उन्होंने हमारी रिक्वेस्ट एक्सेप्ट भी की प्रोडक्ट ने अपनी प्रोडक्ट ने अपनी काबिलियत दिखाई और उन्होंने रिव्यू किया तब जाके लोगों तक पहुंचा एंड फिर हमारी धीरे-धीरे सेल स्टार्ट हुई उस सेल से हमने उस पैसों को वापस से अपनी प्रोडक्शन लाइन में डाला प्रोडक्ट की कॉस्ट कम करने की ट्राई की थोड़ी और मार्केटिंग में इन्वेस्ट किया और और सेल्स आने लगी 

  फिर हमने जो हमारा दूसरा प्रोडक्ट था जो हमारे जहन में था कि सीनियर के लिए एक ऐसा गैजेट बनाना ताकि उनके केयर टेकर्स को पता चल सके जब वो मुसीबत में हो तो हमने उनके लिए भी एक स्मार्ट वॉच बनाई जो गिर उनके गिरने पर  आपको बता दे कि वो गिर गए हैं कहीं पर  भी हो आप वर्ल्ड में जो उनका टेंपरेचर मेजर कर सके रिमोट जो उनके हेल्थ पैरामीटर्स आपको बता सके और इमरजेंसी में वो आप तक पहुंच पाए ये गैजेट के साथ हम और आगे बढ़े  

हमें शाक टैंक पे आने का मौका भी मिला शाक टैंक पे हमें 2 करोड़ की फंडिंग भी दी गई थी वेल इस जर्नी को हम कंटिन्यू करते हैं और अभी भी हम उसी पाथ पे हैं जहां पर हमें जहां रहना है हम अपना बेस्ट ही देंगे और आज हमने अपनी कंपनी इतनी ग्रो कर ली है कि 5 करोड़ का सालाना टर्नओवर है नेक्स्ट ईयर हमारा 10 करोड़ टर्नओवर का टारगेट है हमारे पास अभी एक फुल फ्लेज असेंबली लाइन है अभी लोग हमें अप्रोच करते हैं अब मैन्युफैक्चरिंग के लिए अभी हमने काफी सारे बी टू बी ऑर्डर्स भी एग्जीक्यूट किए हुए हैं 

50 लोगों की फुल फ्लेज टीम है एंड इसी दौर को हम आगे बढ़ाना चाहते हैं और इसी कंपनी को हम एक्सेल करना चाहते हैं और ज्यादा से ज्यादा एंप्लॉयमेंट जनरेट करना चाहते हैं लाइफ ने तो दो लेसन हमें सिखाए थे  बिजनेस ने भी तीन ऐसे लेसन सिखाए हैं जो मुझे लगता है कि मैं आपसे शेयर करूं क्योंकि पता नहीं कौन सी चीज आप पर भी लागू हो 

पहली   चीज यह डायलॉग आपने सुना ही होगा मन के जीते जीत है मन के हारे हारे मैं ऐसे कई लोगों से मिला हूं मेरे काफी टीम मेंबर्स भी ऐसे रहे हुए हैं काफी फाउंडर्स भी ऐसे रहे हुए हैं जो मन में ही बिजनेस प्लान बनाते हैं मन में ही उसके उनमें कोई डाउट आता है उस प्लान में मन में ही इशू क्रिएट करके मन में ही खत्म कर देते हैं तो  वो कभी एग्जीक्यूट ही नहीं कर पाते मेरा आप सबसे ये रिक्वेस्ट है कि जो भी आपका आईडिया हो मन में ही उसे डिस्क मत कीजिए ट्राई कीजिए एग्जीक्यूट करने का लोगों के सामने लाइए एंड फिर देखिए उसका फीडबैक दूसरा सबसे इंपॉर्टेंट लेसन जो हमने सीखा है कि  इंपॉसिबल जैसी कोई भी चीज नहीं होती है

 यह काफी जेनरिक चीज है तो भी इसको मन में उतारना काफी डिफिकल्ट है हमने तो इनफैक्ट हमारे कार्ड्स में भी ये छपा रखा है एवरीथिंग सीम्स इंपॉसिबल अंट्स डन ताकि जो भी हमसे मिले उनको यह पता जरूर चले कि हमें नो बोलना या इंपॉसिबल बोलना एक्सेप्टेबल नहीं है और तीसरी चीज  यह है कि काफी डीप है  तो मैं समझता हूं कि आप काफी मैच्योर भी होंगे कि जो प्राप्त है वही पर्याप्त है आपको लाइफ में काफी ऐसे मौके मिलेंगे जहां पे जिस स्टेज पे आप हैं वो भी बहुत अच्छा है उसको भी आप यूज कर सकते हैं उसी में आप एक्सेल कर सकते हैं 

काफी बार आप अपना प्रोडक्ट लेके जाओगे मार्केट में लोग बोलेंगे इसके तो इतने सारे Compatitor हैं ये कैसे बनेगा आपको ये रखना है कि आपके पास क्या पर्याप्त चीजें हैं जिनसे आप यूज कर रहे हैं अभी आपका टारगेट नहीं है 100 करोड़ बनने का 1 करोड़ 5 करोड़ 10 करोड़ एंड फिर 100 करोड़ तो आपके पास अभी भी उतनी ऑडियंस है जो आपका प्रोडक्ट एक्सेप्ट कर सके इसलिए जो प्राप्त है वो पर्याप्त है 

Abhishek Baheti -Moral stories in Hindi

LinkedIn :- abhisekbaheti

Leave a Comment